दिव्यांश यादव.
ये संसद है भाई साहब, कानून भी बनाती है,लड़ाई भी कराती है ।
कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नयी संसद की नींव रखी,विवाद भी हुआ, कई लोगों ने इसकी जरुरत पर भी सवाल खड़े किए, कई विपक्षी नेताओं ने इसे पैसे की बर्बादी तक कहा,संसद में हमेशा से कई तरह के विवाद होते रहे है पर यह वही संसद है जहां पर लोकतंत्र की ताकत को महसूस किया जाता है,क्योंकि देश की कई समस्याएं हैं जो यहां हल की जाती है जिसकी वजह से इसे “लोकतंत्र का मंदिर” भी कहा जाता है ।
आज हम बात कर रहे हैं संसद की उन खट्टी मीठी यादों के बारे में, जो कई बार हमें ज्ञात नहीं होती, नए बिल पर बहस हो या नेताओं के चुटकुल,संसद में हमेशा से ऐसा माहौल आपको देखने को मिला हैं, जिसे देखकर आप गौरवान्वित भी हुए हैं और कई बार खुद से सवाल भी किये होंगे “क्या यही संसद हैं”, वजह कुछ भी हो पर कई नेताओं ने संसद की मर्यादा को तार तार भी किया है ।
पर ये विवाद आपको संसद में ही नहीं दिखेगा अपितु विधानसभा हो या विधानपरिषद, जहां जहां राजनैतिक विचारधारा रहती है वहां वाद विवाद होंगे ही दरअसल कर्नाटक विधान परिषद के उपाध्यक्ष एसएल धर्मेगौड़ा मंगलवार सुबह कर्नाटक के चिक्कामगलुरु के कदूर के पास एक रेलवे ट्रैक पर मृत पाए गए। शव के साथ एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ, सुसाइड नोट पर जो लिखा है वो हृदयविदारक है, असल में उन्होंने सुसाइड क्यों किया इसके लिए हमें कुछ दिनों पहले कर्नाटक विधान परिषद में हुए घटनाक्रम को समझना होगा ।
लगभग दो हफ्ते पहले, कर्नाटक विधान परिषद में तो हद ही हो गई थी। उपाध्यक्ष धर्मेगौड़ा को एमएलसी जबरन उठाकर सदन से बाहर ले गए और दरवाजा बंद कर दिया, अब एक सवाल तो आपके मन में भी आया होगा क्या ऐसा पहली बार है जब किसी सदन जैसे राज्यसभा हो या लोकसभा या फिर विधानसभा हो विधानपरिषद ।
जी ऐसा कई बार हुआ है और आगे भी होगा,कर्नाटक की घटना ने नेताओ की कार्यशौली भी सवाल खड़े कर दिए हैं,आखिर विरोध का कौन सा तरीका है, जिसमे किसी को ऐसा घात लगे की वो आत्महत्या ही कर ले ?