हरियाणा की राजनीति में पनपी एक अनोखी प्रेम कहानी जिसका अंत बेहद ही खौफनाक था।
“उस उपवन के सुंदरवन में
वो फूल हम माली थे
वह फिजा हम चांद बन गए
सपने अफलाक से आली थे”
जी हां,ऐसी कविता अक्सर तब होती हैं जब आदमी प्यार में होता है,
प्रेम, प्रीति, स्नेह, इश्क, प्यार यह ढाई अक्षर वाले शब्द बड़े अजीब होते हैं, मन की भाव-भंगिमाओं से लेकर दिल के तालों तक, को एक झटके में ही खोल देते हैं.
आज की यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है, और साथ में रंग भी सियासी है।
सियासत में दुश्मनी तो बहुत देखी होंगी, चलिए अब प्यार ढूंढते हैं, लेकिन खबरदार, ये अक्सर नफरतों की छौक दे देते हैं।
साल था सन 2008, अखबार की सुर्खियों में तब एक प्रेम कहानी बहुत चर्चा में थी, वह भी सियासी गलियारों के बीच, मुख्य पात्र थे हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री- चंद्र मोहन
चंद्रमोहन के पिता भी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं- नाम था भजनलाल।
इसी भजनलाल के पुत्र ने प्यार का एक ऐसा भजन गाया, जो बिना संगीत के ही सुपर डुपर हिट हो गई,
यूं तो चंद्रमोहन की सीमा बिश्नोई से पहले ही शादी हो चुकी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने अंदर पनपे प्यार के उन परागकणों, को जीवित रखा तथा उसको एक नया नाम दिया,
उनकी इस नए प्यार का नाम था अनुराधा बाली जो कि हरियाणा की डिप्टी एडवोकेट जनरल थी,
वह इंग्लिश में कहते हैं ना “Everything is fair in love and war” दोनों ने इस कहावत को सार्थक तो किया ही उसके साथ-साथ उन्होंने अपने प्यार में एक नया आयाम लिख दिया,
यूं तो इन दोनों की मुलाकात सन 2004 में एक जूस कॉर्नर में हुई थी, जहां दोनों लोग जूस पीने आए थे, और इसी जूस के बुलबुले से उठे इन परागकणों ने प्यार का नया रूप ले लिया,अनुराधा बाली भी शादीशुदा थी लेकिन अपनी निजी जिंदगी से खुश नहीं थी,उन्हें चंद्रमोहन के रूप में एक नया साथी मिल गया था,
अब क्या था उनके प्यार का सिलसिला ऐसे ही गुपचुप चलता रहा, 3-4 साल तक दोनों चुपचाप मिलते रहें लेकिन दोनों ने अपने इस प्यार को मीडिया के सामने जाहिर नहीं किया था।
इन दोनों के रिश्ते की सबसे पहली सुन-गुन सीमा बिश्नोई को लग गई, जोकि चंद्रमोहन की वर्तमान पत्नी थी, अब क्या था, यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई और पूरे परिवार को इसके बारे में पता चल गया,
चंद्रमोहन और अनुराधा बाली के पास अब तो बस एक ही उपाय था, अपने इस बेनाम प्यार को नाम देने का,
नाम भी दिया इन्होंने पता है क्या तो चलिए हम बताते हैं।
2 दिसंबर सन 2008 इस रिश्ते में एक नया मोड़ तब आया जब यह दोनों मेरठ चले गए और वहां इस्लाम धर्म कबूल कर लिया, और मुस्लिम धर्म के अनुसार अपना निकाह भी कर दिया,
अब चंद्रमोहन –चाँद मुहम्मद हो गए थे,और अनुराधा बाली– फिजा
“उस उपवन के सुंदरवन में
वो फूल हम माली थे
वह फिजा हम चांद बन गए
सपने अफलाक से आली थे”
अब जाकर उपरोक्त कविता की सार्थकता सिद्ध हुई, आप खुद ही पढ़ लीजिए।

इन दोनों के प्यार की खबर उन दिनों फ्रंट पेज पर छपा करती थी, जिसने हरियाणा की राजनीति में एक भूचाल सा ला दिया था,
6 दिन बाद यानी 8 दिसंबर 2008 को ही इस प्यार रूपी चुनाव के नतीजे भी आ गए थे,
चंद्रमोहन जो कि उस समय हरियाणा के वर्तमान उपमुख्यमंत्री थे उन्हें तुरंत पद से हटा दिया गया,
सच ही कहते हैं कि प्यार की राह में पग-पग में खतरा होता है,
3 दिन बाद और दूसरा झटका लगा, और यह झटका उनके परिवार के तरफ से ही था,
पिताजी -भजनलाल ने चंद्रमोहन को अपने पैतृक जायदाद से बेदखल कर दिया था।
इसी बीच चंद्रमोहन उर्फ चांद मोहम्मद और अनुराधा बाली उर्फ फिजा इन सभी चीजों से बेपरवाह होकर बस प्यार के रंग में रंग से गए थे।
इस प्रेम कहानी में अभी Climax आना बाकी था,
तारीख थी 29 जनवरी सन 2009 जब चांद मोहम्मद फिजा को अकेला छोड़ लंदन चले गए, लेकिन वापस नहीं लौटे,
प्यार में जीने और मरने की कसमें खाने वाले इन दोनों की प्यार की डोर क्या इतनी कच्ची थी कि इतनी कम समय में ही टूट गई? अंदाजा लगाना मुश्किल था।
फिजा को यकीन नहीं हो रहा था कि जिस चाँद मोहम्मद के लिए उन्होंने अपना सब कुछ छोड़ा वह उन्हें इस तरह छोड़कर चले जाएंगे,
फिजा डिप्रेशन में चली गई थी और 29 जून सन 2009 को उन्होंने खुदकुशी करने का प्रयास किया, लेकिन बच गई।
इधर चांद मोहम्मद अपनी राजनीतिक गलियारों में फिर से लौट आए थे,
28 जुलाई 2009 चांद मोहम्मद ने मुस्लिम धर्म छोड़ फिर से हिंदू धर्म अपना लिया और फिर से चंद्रमोहन कहलाने लगे।
अभी इन दोनों के रिश्तो में और भी तल्खियां बाकी थी, और अखबारों को भी उनकी मनपसंद खबरें मिल रही थी,
प्यार ने अब युद्ध का रुप ले लिया था,

1 फरवरी सन 2010 को फिजा उर्फ अनुराधा बाली ने चंद्रमोहन उर्फ चाँद मोहम्मद के खिलाफ सेक्सुअल असॉल्ट का केस दर्ज करवाया,
अनुराधा बाली ने तो इस युद्ध में अपना पहला वार कर ही दिया था, दूसरा वार भी जल्दी आ गया, लेकिन अनुराधा बाली के तरफ से नहीं बल्कि चंद्रमोहन के तरफ से
तारीख थी 14 मार्च सन 2010 चंद्र मोहन ने अनुराधा बाली को तलाक दे दिया।
और प्यार भरी कहानी का The End कर दिया।
लेकिन मेरे दोस्त पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई थी, इस कहानी में एक नया मोड़ बाकी था,
कहते हैं कि 15 जून सन 2010 को चंद्र मोहन अनुराधा बाली के आवास पर उनसे मिलने गए थे, और उनसे माफी मांगने को कहा।
इस कहानी में भी सुबह से अब रात होने वाली थी लेकिन यह रात इतनी डरावनी होगी किसी को अंदाजा नहीं था,
2 साल तक सब ठीक रहा, सब जस का तस हो गया था, प्यार में जीने मरने की कसमें खाने वाले हैं दोनों अब अलग अलग रास्ते पर थे।
लेकिन आगे जो हुआ है इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी,
तारीख थी 6 अगस्त 2012, अनुराधा बाली की लाश उनके मोहाली स्थित आवास से बरामद की गई, जो कि बिल्कुल खराब अवस्था में पाई गई।
इनकी मौत कैसे हुई क्यों हुई यह राज भी अब तक राज ही है,
इस प्रेम कहानी का अंत ऐसा होगा, किसी ने कल्पना नहीं की थी, जो हुआ वह बेहद ही दर्दनाक था और दिल दहलाने वाला भी।
शायद यही सियासत है। प्यार की सियासत।