दिव्यांश यादव, गोरखपुर । दीवारों पर खून के छीटों और हर रोज चीखती चिल्लाती विधवाओं से कभी गोरखपुर भी लाल हुआ करता था,ये वक्त छात्र राजनीति के उस दौर का था, जब वर्चस्व की लड़ाई इतनी जातिगत हो गई की ठाकुर और ब्राम्हण समाज के दो पैरोकार वीरेंद्र शाही और […]
harishankar tiwari hata
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